हिन्दुओं के देवता कौन हैं? हिंदू धर्म में कई देवता हैं, लेकिन वेदों में केवल कुछ देवताओं का उल्लेख है। आइए उन भगवानों के बारे में बात करते हैं, जो स्वर्ग लोक में रहते हैं और पृथ्वी के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सभी हिंदू देवताओं के पास अपने प्राथमिक कार्य और शक्तियां हैं।
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देवराज इंद्र
इंद्र देव वर्षा के देवता हैं जो हिंदू धर्म में सबसे मजबूत हथियार ,वज्र धारण करते हैं और शक्तिशाली ऐरावत हाथी उनका वाहन है। उनके पिता का नाम ऋषि कश्यप, माता का नाम अदिति और उनकी पत्नी का नाम इंद्राणी है। देवराज इंद्र सभी हिन्दुओं के देवताओं के राजा हैं। वेदों में इंद्र का उल्लेख है और उन्हें हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण वैदिक भगवान माना गया है। इंद्र देव सबसे शक्तिशाली हैं और पूरी दुनिया के एकमात्र शासक और नियंत्रक माने जाते हैं। वह देवताओं का राजा है, लेकिन उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति के समकक्ष नहीं माना जाता है।

अग्नि देव
अग्नि देव हमेशा से सबसे अधिक भयावह देव रहे हैं, लेकिन हिंदुओं द्वारा उनकी वैदिक युग से पूजा की जाती रही है। अग्नि देव अस्त्र में भाले को धारण करते हैं और लाल घोड़ों के साथ रथ में सवार होते हैं। सभी हिन्दू, अग्नि देव को यज्ञ में आवाह्न कर यज्ञाग्नि के माध्यम से अन्य हिन्दू के देवताओं की प्रार्थना करते हैं। अग्नि देव के पत्नी का नाम स्वाहा है।
जब भी अग्नि देव को क्रोध आता है, वह बेकाबू हो जाते हैं, और पृथ्वी पर कोई भी उनहे शांत नहीं कर सकता है।
अग्नि देव ने ही अर्जुन को शक्तिशाली धनुष ‘गांडीव’ भेंट किया था।
पवन देव
पवन देव बहुत शक्तिशाली हैं और पृथ्वी में कोई भी अन्य समकक्ष नहीं । उन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वो एक हिरण की सवारी करते हैं और एक सफेद झंडा हाथ में रखते हैं । त्रेता युग में अंजनी पुत्र हनुमान तथा द्वापर युग में कुंती पुत्र भीम, पवन देव के द्वारा प्रदान किये हुए पुत्र थे, इसीलिए हनुमान और भीम भाई थे।
कलियुग में, भगवान हनुमान, ‘पवनपुत्र’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।
वरुण देव
वरुण देव समुद्र (जल) के देवता हैं और आमतौर पर मछली की सवारी करते हैं। समुद्र में, वरुण देव समुद्र के विभिन्न राक्षसों पर नज़र रखते हैं। वरुण देव की पत्नी का नाम वरुणी देवी हैं।
जब वरुण देव के भक्तों पर मुस्लिम चरमपंथी शासक ने उनके धार्मिक विश्वासों के लिए उनपर हमला किया था तब उन्होंने दसवीं शताब्दी में भगवान झूलेलाल के रूप में अवतार लिया था।
भगवान विश्वकर्मा

विश्वकर्मा पूरे ब्रह्मांड के ‘सिविल इंजीनियर’ हैं। उनके चार हाथ हैं जिनमे वह एक में पानी के बर्तन, एक में किताब, एक में रस्सी और एक में कई तरह के उपकरण धारण करते हैं। उनके द्वारा ही लंका, द्वारका, यमपुरी, इंद्रप्रस्थ, आदि भव्य नगरों का निर्माण किया गया था। उन्होंने ही देवताओं के पास रहने वाले सभी दिव्य अस्त्र, विमन, रथ आदि का निर्माण किया था। भारत में, हर मैकेनिक, राजमिस्त्री, सुनार, बढ़ई, लोहार, कारीगर आदि शिल्प में कुशल है, भगवान विश्वकर्मा की पूजा करता है।
विश्वकर्मा पूजा दिनांक 17 सितंबर
विश्वकर्मा पूजा की तारीख अंग्रेजी कैलेंडर में तय है। विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, लेकिन यह कभी-कभी एक दिन के लिए भी भिन्न हो सकती है।
यमराज

यमराज मृत्यु के देवता हैं। बुरे लोगों के मृत्यु के बाद वह हाथ में गदा लेकर काले भैंस की पीठ पर सवार उग्र दिखने वाले व्यक्ति के रूप में प्रकट होते हैं। अच्छे लोगों के मृत्यु के बाद, वह भगवान विष्णु की तरह एक आकर्षक मुस्कान और कमल जैसी आंखों के साथ प्रकट होते हैं । वह ही धर्मराज हैं और मानव कर्मों के न्यायाधीश हैं। जब भी कोई मानव मरता है, तो उसे यमदूत (यमराज के सहायक) उसे चित्रगुप्त (यमराज के रिकॉर्ड कीपर) के समक्ष लाते हैं जो यमराज को उस मृतक के किये गए कर्मो की समीक्षा करते हैं । बाद में, पुण्य करने वालों को स्वर्ग और दुष्टों को उनके कर्मों के अनुसार नरक में भेजा जाता है। यमराज सूर्यपुत्र हैं तथा यमुना उनकी लाडली जुड़वां बहन हैं। यमराज एवं शनिदेव भी आपस में भाई हैं। माना जाता है कि यमराज का निवास दक्षिण की ओर है और दक्षिण की यात्रा यमपुरी ओर जाती हैं।
कुबेर
कुबेर सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और मानव के लिए धन के देवता हैं। वह एक हाथ में धन का कटोरा और दूसरे हाथ में एक पैसे की थैली रखते हैं। कुबेर, रावण, कुंभकर्ण और विभीषण एक ही पिता के पुत्र थे। उनकी पत्नी का नाम कुबेरणी है। भगवान कुबेर का वास्तविक नाम गुननिधी था जो माता पार्वती ने बदल दिया था । कुबेर अल्कापुरी के शासक और यक्षों के राजा थे। रावण उनके समृद्धि से ईर्षित होकर कुबेर को पराजित किया और उनकी नगरी और उनका पुष्पक विमन अपने अधीन कर लिया था। जब भगवन कुबेर अपनी नगरी वापस नहीं ले सके तब भगवान विश्वकर्मा ने उनके लिए कैलाश पर्वत पर उनका निवास्थान बनाया । कुबेर देवता की मूर्ति घर में रखने से परिवार पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहती है। माना जाता है कि देवता कुबेर का निवास उत्तर की ओर है, और उनकी मूर्ति को उत्तर की ओर रखा जाना चाहिए।
कामदेव
कामदेव प्रेम और शारीरिक इच्छा को उत्तेजित करने वाले देवता हैं। उनका जन्म निर्माता भगवान ब्रह्मा के दिल से हुआ था। उनका मुख्य सहयोगी वसंत देवता हैं । कामदेव सदैव अप्सराएँ, गन्धर्व, और यमदूत से घिरे होते हैं। कामदेव को युवा देवता के रूप में चित्रित किये जाते हैं, जो आभूषणों और फूलों से अलंकृत होते हैं।
कामदेव गन्ने से बने धनुष को धारण करते हैं तथा जिसकी डोरी मधुमक्खीयों से बंधी होती है।उनके धनुष के बाण फूलो से बने होते हैं। जब कामदेव धनुष से बाण चलाते हैं, तो कोई आवाज नहीं होती तथा वो जिसपर अपने बाण चलते हैं उसकी प्रेम और शारीरिक इच्छा उत्तेजित हो जाती है । उनका प्रिय वाहन तोता है । कामदेव की पत्नी का नाम रति है।
एक बार कामदेव ने भगवान शिव को जगाने के लिए अन्य सभी देवताओं की मदद की थी जिसके फलस्वरूप शिव भगवन ने कामदेव को अपने तीसरी आँख से निकले क्रोधाग्नि ने भस्म कर दिया था। भस्म होने के बाद उन्होंने द्वापर युग में भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में अवतार लेकर अपना शरीर वापस पाया था । (भगवान कृष्ण के पुत्र के रूप में कामदेव अवतार की कहानी पढ़ें)