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मंगलवार व्रत की विधि
हनुमान जी का व्रत लगातार 21 मंगलवार करना चाहिए । मंगलवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान वगैरह से निवृत्त होकर सबसे पहले हनुमान जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें । इसके बाद ईशान कोण की दिशा (उत्तर पूर्व कोने में) किसी एकांत स्थान पर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें । फिर गंगाजल के छींटे देकर उनको लाल कपड़ा धारण कराएं । फिर पुष्प रोली और अक्षत के छींटे दें । इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं और तेल की कुछ छींटे मूर्ति या तस्वीर पर डाल दें । इसके बाद हनुमान जी को फूल अर्पित करें और अक्षत व फूल हाथ में रखकर उनकी कथा सुने या कहें और हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ भी करें । इसके बाद आप भोग लगाएं और अपनी मनोकामना बाबा से कहें और प्रसाद सभी में वितरण कर दें । अगर संभव हो सके तो दान जरूर करें शाम के समय भी हनुमान मंदिर जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और सुंदरकांड का पाठ करें और उनकी आरती करें । 21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वे मंगलवार को विधि-विधान के साथ बजरंगबली की पूजा कर और उन्हें चोला चढ़ाएं । उसके बाद 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमता अनुसार दान दक्षिणा दें ।

मंगलवार व्रत कथा
एक समय की बात है एक ब्राह्मण दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी जिस कारण वह बेहद दुखी थे। एक समय ब्राह्मण वन में हनुमान जी की पूजा के लिए गया। वहां उसने पूजा के साथ महावीर जी से एक पुत्र की कामना की। घर पर उसकी स्त्री भी पुत्र की प्राप्ति के लिए मंगलवार का व्रत करती थी। वह मंगलवार के दिन व्रत के अंत में हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करती थी। एक बार व्रत के दिन ब्राह्मणी ना भोजन बना पाई और ना ही हनुमान जी को भोग लगा सकी। उसने प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी को भोग लगाकर ही भोजन करेगी। वह भूखी प्यासी छह दिन तक पड़ी रही। मंगलवार के दिन वह बेहोश हो गई। हनुमान जी उसकी निष्ठा और लगन को देखकर प्रसन्न हुए। उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप ब्राह्मणी को एक पुत्र दिया और कहा कि यह तुम्हारी बहुत सेवा करेगा। बालक को पाकर ब्राह्मणी अति प्रसन्न हुई। उसने बालक का नाम मंगल रखा। कुछ समय उपरांत जब ब्राह्मण घर आया, तो बालक को देख पूछा कि वह कौन है? पत्नी बोली कि मंगलवार व्रत से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने उसे यह बालक दिया है। ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बात पर विश्वास नहीं हुआ। एक दिन मौका देख ब्राह्मण ने बालक को कुएं में गिरा दिया। घर पर लौटने पर ब्राह्मणी ने पूछा कि “मंगल कहां है?” तभी पीछे से मंगल मुस्कुरा कर आ गया। उसे वापस देखकर ब्राह्मण आश्चर्यचकित रह गया। रात को हनुमानजी ने उसे सपने में दर्शन दिए और बताया कि यह पुत्र उसे उन्होंने ही दिया है। ब्राह्मण सत्य जानकर बहुत खुश हुआ। इसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति मंगलवार व्रत रखने लगे। मंगलवार का व्रत रखने वाले मनुष्य हनुमान जी की कृपा व दया का पात्र बनते हैं।