शिवलिंग
चित्र: शिवलिंग

आज हमारे समाज में शिवलिंग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। ये सारी भ्रांतियां, मुगल काल और ब्रिटिश शासन के दौरान अधिक फैली थीं। उस समय अज्ञानियों ने शिवलिंग को पुरुष जननांगों के रूप में प्रस्तुत किया था और दुर्भाग्य से, आज भी, ये सारी गलत धारणाएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। इस लेख में, हम शिवलिंग के सही महत्व पर प्रकाश डालेंगे।

 शिवलिंग क्या है ?

कई लोग शिवलिंग का अर्थ, शिव और पार्वती के यौन अंग के रूप में लेते हैं, जो बिलकुल अनुचित है। यह केवल उन अज्ञानी लोगों द्वारा कहा जाता है जो संस्कृत भाषा नहीं जानते हैं। ।दरअसल, लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है। लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है तो शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक। जिस प्रकार स्त्रीलिंग स्त्री होने का प्रतीक है और पुलिंग पुरुष होने का प्रतीक उसी प्रकार शिवलिंग शिव का प्रतीक है ।

लिंग का महत्व क्या है?

शिवलिंग अनंत काल के रूप में भगवान शिव और देवी पार्वती के वास्तविक रूप का प्रतिनिधित्व करता है और पुरुष और महिला की समानता का प्रतीक है। यह इस बात का प्रतीक है कि इस रचना में स्त्री और पुरुष दोनों समान हैं। इसका नाम लिंग है क्योंकि यह शून्य, अनंत, ब्रह्मांड और निराकार परम अस्तित्व का प्रतीक है। हिंदू धर्म में, अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति के रूप में पूजा की जाती है; दूसरी ओर, शिवलिंग की पूजा करके भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव महापुराण के अनुसार, इस युग में शिवलिंग की पूजा करना मानव कल्याण के लिए सर्वश्रेष्ठ पूजा है। इस कारण से, पूरे भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों का अभिषेक और पूजन, मोक्ष के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

शिवलिंग क्या दर्शाता है ?

शिवलिंग के 3 भाग होते हैं । चार पक्षीय निचला भाग भूमिगत रहता है, आठ पक्षीय मध्य भाग एवं शीर्ष भाग सब में जिसकी पूजा की जाता है वो गोल होता है ।गोल भाग की ऊंचाई इसकी परिधि का एक तिहाई होती है । नीचे का भाग ब्रह्मा को दर्शाता है , मध्य का भाग विष्णु और शीर्ष का भाग, शिवजी को दर्शाता है ।

शिवलिंग
चित्र: शिवलिंग

शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?

शिवलिंग की उत्पत्ति का विवरण लिंग महापुराण में पाया जाता है । एक बार भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में कौन ज्यादा श्रेष्ठ है । जब उनका विवाद बहुत अधिक बढ़ गया तब अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा हुआ एक लिंग भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच आकर स्थापित हो गया (अग्नि की ज्वालाओं से लिपटा उसी शिवलिंग को शिव महापुराण में प्रकाश का स्तंभ बताया गया है)।

दोनों उस लिंग को देखकर काफी चकित हुए । दोनों उस लिंग के रहस्य को समझ नहीं पा रहे थे ।दोनों ने उसी क्षण विवाद छोड़कर लिंग के रहस्य के बारे में पता लगाने का निर्णय किया ।यह लिंग इतना विशाल था कि ना इसका ऊपरी सिरा दिख रहा था ना ही निचला सिरा दिख रहा था । भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी ने यह निर्णय लिया कि जो इस विशाल लिंग के छोरों का पता लगा लेगा वह ही श्रेष्ठ होगा ।

भगवान विष्णु नीचे की तरफ गए और भगवान ब्रह्मा ऊपर की तरफ गए । वर्षों तक खोजने के पश्चात भी उन्हें शिवलिंग के स्रोत का पता ना चल सका । निराश होकर दोनों देव वहीं आ गए जहां सर्वप्रथम लिंग प्रकट हुआ था । वहां पहुंचने पर उन्हें ओम की ध्वनि सुनाई दी जिसको सुनकर उन्हें अनुभव हुआ कि यह कोई शक्ति है और उसकी आराधना करने लगे ।

भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की आराधना से प्रसन्न होकर उस लिंग से भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें सद्बुद्धि का वरदान दिया । दोनों देवो को वरदान देकर भगवान शिव वहां से चले गए और एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हो गए । यही भगवान शिव का पहला शिवलिंग माना गया है ।सबसे पहले भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने उस शिवलिंग की पूजा की थी तभी से भगवान शिव के लिंग की पूजा करने का चलन आरंभ हुआ ।

( ऊपर विदित कथा कई पुराणों में वर्णित है परन्तु हर पुराण में कुछ असमानताएं हैं।)

भगवान शिव के प्रतिक शिवलिंग में ज्योतिर्लिंग की अपार महत्वपूर्णता है। ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव का वास होता है तथा वह जागृत होता है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग – वेरावल (गुजरात)
  2. मलिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – श्रीशैलम (आंध्र प्रदेश)
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग – उज्जैन (मध्य प्रदेश)
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग – खंडवा (मध्य प्रदेश)
  5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग – केदारनाथ (उत्तराखंड)
  6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग – पुणे (महाराष्ट्र)
  7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग – वाराणसी (उत्तर प्रदेश)
  8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग – नासिक (महाराष्ट्र)
  9. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग – द्वारका (गुजरात)
  10. बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग – देवघर (झारखंड)
  11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग – रामेश्वरम (तमिलनाडु)
  12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग – औरंगाबाद (महाराष्ट्र)