वरद विनायक, महद
चित्र: वरद विनायक, महद

वरद विनायक के बारे में

अष्टविनायक यात्रा में चौथा मंदिर, वरद विनायक गणपति मंदिर, बल्लालेश्वर गणपति मंदिर से सिर्फ 38 किमी दूर है और महद, कोल्हापुर तालुका, जिला रायगढ़, महाराष्ट्र, भारत में स्थित है।

वरद विनायक श्लोक
चित्र: वरद विनायक श्लोक

कथा

शिकार यात्रा के दौरान कौडिन्यपुर के राजकुमार रुक्मागांदा ऋषि वाचकनवी के आश्रम में रुक गए। ऋषि वाचकनवी की पत्नी मुकुंद, राजकुमार के प्रति आकर्षित हुईं और उन्हें लुभाने की कोशिश की, लेकिन राजकुमार ने उन्हें अस्वीकार कर दिया। लेकिन, भगवान इंद्र ने इस घटना को देखा और राजकुमार के भेष में ऋषि की पत्नी की इच्छा पूरी कर दी । मुकुंद गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र घृतस्मद को जन्म दिया, जो एक महान विद्वान था।

एक बार, महान ऋषियों के साथ बहस के दौरान, एक ऋषि ने घृतस्मद के साथ बहस करने से इनकार कर दिया और उन्हें झूटा ब्राह्मण कहा। वह उस ऋषि के वक्तव्य से अचंभित था। उसने अपनी माँ मुकुंद से सच्चाई पूछी तो उसकी माँ ने उसके जन्म की कहानी बताई।  घृतस्मद ने पूरा वृतांत सुनकर अपनी ही माँ को एक पौधे में बदलने का शाप दे दिया। इसके बदले में, उसने उसकी माँ ने भी उसे शाप दिया कि उसके पास एक दानव पुत्र होगा। इसी घटनाक्रम के मध्य आकाशवाणी ने घोषणा की कि घृतस्मद भगवान इंद्र के पुत्र हैं । मुकुंद जल्द ही कांटेदार पौधे में तब्दील हो गया, और घृतस्मद ने अपनी ही माँ को शाप देने की लज्जा की अनुभूति की और एक दानव पुत्र प्राप्त होने के शाप मिलने से दुखी भी हुआ।

घृतस्मद, प्रायश्चित करने पुष्पक वन में चले गए जहाँ उन्होंने एक मंदिर बनाया, और गणेश प्रतिमा स्थापित की। उन्होंने भगवान गणेश का आह्वान करने के लिए कठिन तपस्या की। जल्द ही भगवान गणेश उनके समर्पण से प्रसन्न हुए और उन्हें पुत्र प्राप्त करने का वरदान दिया जो केवल भगवान शिव द्वारा ही पराजित होगा। घृतस्मद ने भगवान गणेश से ब्रह्म ज्ञान की आकांक्षा की और  उनसे वन में उसी स्थान में स्थायी रूप से रहने का अनुरोध किया और माँगा की जो कोई भी यहाँ प्रार्थना करेगा वह सफल हो। ” भगवान गणेश ने इसी स्थान में उन्हें सब वर प्रदान किये थे। इसलिए, भगवान गणेश यहां वरद (वर देने वाले) विनायक के लिए प्रसिद्ध हुए।

वरद  विनायक के प्रतिमा के बारे में

गणपति की मूर्ति अन्य अष्टविनायक मूर्तियों की तरह स्वायंभु है, और यह झील में पाई गई थी। मंदिर के दो कोनों में दो गणेश मूर्तियाँ स्थित हैं। दाहिनी ओर की मूर्ति संगमरमर से बनी है और सूंड दाईं ओर मुड़ी हुई है। बाईं मूर्ति की सूंड बाईं ओर मुड़ी हुई है और इसका सिंदूर से अभिषेक किया जाता है। मुख्य मंदिर में वरद विनायक की मूर्ति एक सजावटी सिंहासन पर विराजमान है। पत्थर की ऋद्धि और सिद्धी मूर्ति भगवान विनायक की मूर्ति के साथ है।

वरद विनायक मंदिर के बारे में

मंदिर प्रसिद्ध पवित्र तालाब  के किनारे स्थित है। चार हाथी की मूर्तियाँ, मंदिर के चारों ओर पहरा दे रही हैं। इस मंदिर में एक तेल का दीपक नंददीप है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह 1892 से लगातार जल रहा है। मंदिर में प्रवेश करने के बाद भक्त गणपति वाहन, नवग्रह देवता और शिवलिंग की मूर्तियाँ देख सकते हैं। इसकी छत में 25 फीट ऊंचा और नक्काशीदार नागराज है। वरद विनायक मंदिर में, भक्त आंतरिक गर्भगृह में प्रवेश कर सकते हैं और खुद मूर्ति की पूजा कर सकते हैं।

वरद विनायक मंदिर प्रवेश
चित्र: वरद विनायक मंदिर प्रवेश 

वरद विनायक मंदिर के दर्शन का समय

वरद विनायक गणपति मंदिर दर्शन सभी 365 दिनों में खुला रहता है, और दैनिक दर्शन सुबह 5:30 बजे शुरू होता है और रात 9:00 बजे बंद हो जाता है।

दैनिक पूजा दिनचर्या:

प्रातः पांच बजे – मंदिर खुलता है

सुबह के 8:00 बजे – पंचामृत पूजा

रात 9:00 बजे – मंदिर बंद

कैसे पहुंचे सिद्धटेक सिद्धिविनायक मंदिर?

  • वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डे मुंबई (75 किमी) और पुणे (95 किमी) में हैं। 24×7 टैक्सियाँ आसानी से उपलब्ध हैं।
  • रेल मार्ग: पुणे रेलवे स्टेशन (86 किमी) और मुंबई रेलवे स्टेशन (111 किमी) निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। नियमित यात्री और एक्सप्रेस ट्रेनें पुणे और मुंबई से निकटतम रेलवे स्टेशनों, खोपोली (7 किमी) और कर्जत (18 किमी) तक जाती हैं।
  • सड़क मार्ग: वरद विनायक गणपति मंदिर मुंबई से 65 किमी और पुणे से 85 किमी दूर है। अष्टविनायक मंदिर के लिए मुंबई और पुणे से लगातार परिवहन उपलब्ध हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) नियमित बसें दर्शन के लिए उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग की दूरी:

  • बल्लालेश्वर विनायक मंदिर से वरदविनायक मंदिर – 38 किमी
  • पुणे से वरद विनायक गणपति मंदिर, महाद – 85 किमी
  • मुंबई से वरद विनायक गणपति मंदिर, महाद – 69 किमी
  • शनि शिंगणापुर से वरद विनायक गणपति मंदिर, महाद – 229 किमी
  • शिरडी से वरद विनायक गणपति मंदिर, महाद – 227 किमी
  • नाशिक से वरद विनायक गणपति मंदिर, महाद – 212 किमी
नक्शे में वरद विनायक मंदिर
चित्र: नक्शे में वरद विनायक मंदिर

वरद विनायक गणपति मंदिर के पास कहां ठहरें

भक्तों के लिए, भक्त निवास आवास के लिए उपलब्ध है, जहाँ सस्ते दरों पर कमरे उपलब्ध हैं। कमरे अच्छी तरह से साफ सुथरें हैं।

सुविधाएं:

  • चेक-इन: 24 घंटे।
  • चेक-आउट: 24 घंटे।
  • भोजन की सुविधा: हाँ
  • पार्किंग: हाँ
  • गर्म पानी: हाँ
  • संलग्न शौचालय: हाँ
  • सीसीटीवी: हां
  • वाटर प्यूरीफायर: हाँ
  • एयर-कंडीशनर: नहीं

वरदविनायक मंदिर से सम्बंधित प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वरद विनायक मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है?

निकटतम हवाई अड्डे मुंबई (75 किमी) और पुणे (95 किमी) में हैं।

2. वरद विनायक मंदिर किस रेलवे स्टेशन से निकटतम है?

खोपोली (7 किमी) और कर्जत (18 किमी) रेलवे स्टेशन वरद विनायक गणपति मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। मुंबई और पुणे से कई पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें इन स्टेशनों को पार करती हैं।

3. यात्रा में महद गणपति मंदिर में कहां ठहरें?

नव निर्मित भक्त निवास पास में उपलब्ध है

4. वरद विनायक मंदिर, महद जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?

भाद्रपद गणेश चतुर्थी (अगस्त / सितंबर) और माघ (जनवरी / फरवरी) शुक्ल प्रतिपदा से पंचमी तक उत्सव मनाया जाता है, और यह समय मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा है। माघी उत्सव इस मंदिर में एक प्रसिद्ध उत्सव है, और यह कहा जाता है कि यदि माघी चतुर्थी के दौरान प्रसाद के रूप में प्राप्त नारियल का सेवन किया जाता है, तो एक पुत्र की प्राप्ति होती है।

5. वरद विनायक, महद के लिए दर्शन का समय क्या है?

वरद विनायक गणपति मंदिर दर्शन सभी 365 दिनों पर खुला है, और दैनिक दर्शन सुबह 5:30 बजे से शुरू होता है और रात 09: 00 बजे बंद होता है

6. क्या वरद विनायक मंदिर में पार्किंग उपलब्ध है?

हाँ