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बल्लालेश्वर विनायक के बारे में
बल्लालेश्वर विनायक मंदिर अष्टविनायक यात्रा पर तीसरा मंदिर है और पाली गाँव में स्थित है, जो सुधगढ़ तालुका, रायगढ़ जिले, महाराष्ट्र, भारत में अम्बा नदी के पास है। सिद्धटेक विनायक मंदिर से पाली अष्टविनायक मंदिर की दूरी 222 किमी है। भक्त से प्रसन्न होने के बाद, भगवान गणेश ने ब्राह्मण वेश में बल्लाल को अपना दर्शन दिया और हमेशा के यहाँ वास करने का वरदान दिया था, इसलिए ये मंदिर भक्त के नाम से प्रसिद्ध बल्लालेश्वर विनायक कहलाता है, जिसे ‘बल्लाल का भगवान’ कहा जाता है।
तथ्य: गणेश चतुर्थी को जब महाभोग गणपति को चढ़ाया जाता है तो गणपति के स्पर्श के निशान महाभोग में दिखते हैं।

कथा
एक बार, कल्याण नाम का एक व्यापारी अपनी पत्नी इंदुमती के साथ पल्लीपुर में रहता था, उनका एक ही बेटा था ‘बल्लाल’ । बल्लाल, भगवान गणेश के अति समर्पित भक्त थे । बल्लाल के बहुत कम उम्र में भक्तिमर्ग के प्रति समर्पण से उनके पिता बहुत नाराज होते थे। बल्लाल अपने साथ अन्य बच्चों को भी भक्ति के मार्ग के लिए प्रेरित करते थे । वह और उनके मित्र पूजा में बहुत समय बिताते थे। एक बार बल्लाल को एक बड़ा पत्थर दिखा, वे अपने मित्रों के साथ उस पत्थर की पूजा विनायक के रूप में शुरू कर दी। सभी बच्चे भगवान गणेश की पूजा में इतने संलग्न हो गए थे कि वे भूख प्यास भूल गए और रात में वापस घर नहीं लौटे ।
सभी बच्चों के माता-पिता उनकी वापसी की प्रतीक्षा कर रहे थे और जब वे वापस नहीं आए तो अत्यंत चिंतित होने लगे। बल्लाल के दोस्तों के माता-पिता को लगा कि वह उनके बच्चों को बिगाड़ रहा है। सभी बल्लाल के पिता के पास पहुँच उन्हें चेतावनी दी। वे क्रोधित हो गए और बल्लाल को ढूंढते हुए वन पहुंच गए । उन्होंने जब वन में गणपति की पूजा करते हुए सभी को पाया तो वे अत्यंत क्रोधित होकर पत्थर की मूर्ति को फेंक दिया और सब कुछ तोड़ दिया । उन्होंने बल्लाल को निर्दयता से पीटा और उसे एक पेड़ से बांधते हुए कहा कि “अब अपने भगवान गणेश को बुलाओ; वह आकर तुम्हें छुड़ा लेगा।” बल्लाल, दर्द, भूख और प्यास में भी भगवान गणेश को पुकारते रहे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश एक ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए। बल्लाल को जैसे ही भगवान गणेश ने स्पर्श किया उसके घाव ठीक हो गए। भगवान ने उसे मुक्त करने के बाद उनसे वरदान मांगने के लिए कहा।
बल्लाल ने प्रार्थना की और कहा, “मेरे भगवान गजानन, आप बहुत दयालु हैं, आप विघ्न हर लेते हैं और मैं चाहता हूं कि इसी स्थान पर आपका वास हो और आप मेरी तरह जो भी आपके शरणागत आये उन सभी के विघ्नों को दूर करें ।” गणपति ने कहा, “बल्लाल, मैं अनंत काल तक यहां वास करूँगा, और तुम्हारे नाम से ही जाना जाऊंगा । यहां हर कोई मेरे पहले तुम्हारी पूजा करेगा तत्पश्चात मुझे बल्लाल के भगवान (बल्लालेश्वर) के रूप में पूजा जाएगा।” गणेश उस पत्थर में सम्माहित होकर अंतर्ध्यान हो गए। भगवान के सम्माहित होने से वह पत्थर स्वायंभु मूर्ति बना , जो बल्लालेश्वर विनायक के विख्यात हुआ। बल्लाल के पिता कल्याण ने जो पत्थर की मूर्ति फेंकी थी वह धुंडी विनायक के नाम से प्रसिद्ध हुई। स्वायंभु धुंडी विनायक की पूजा बल्लालेश्वर गणपति से पहले की जाती है।
बल्लालेश्वर विनायक के प्रतिमा के बारे में
ब्राह्मण के रूप में तैयार गणपति की मूर्ति चांदी की पृष्ठभूमि के साथ एक पत्थर के सिंहासन पर बैठी है, जिसमें ऋद्धि और सिद्धि है। मूर्ति पूर्व की ओर है, और गणपति की सूंड बाईं ओर मुड़ी है। गणपति की मूर्ति में आंखों और नाभि में हीरे हैं।
बल्लालेश्वर विनायक के मंदिर के बारे में
मूल रूप से मंदिर का निर्माण लकड़ी द्वारा किया गया था, जिसे बाद में पुनर्निर्मित किया गया था और निर्माण के दौरान सीमेंट के साथ मिश्रित सीसा का उपयोग करके पत्थर के साथ मजबूत बनाया गया था। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है, और आश्चर्यजनक रूप से यह “श्री” अक्षर के आकार का है। मंदिर का हॉल 40 फीट लंबा और 20 फीट चौड़ा है। मंदिर परिसर में टाइल लगाई गई है, और साइप्रस के सिंहासन के पेड़ के समान मंदिर के हॉल में सुंदर आठ स्तंभ हैं। दो खूबसूरत झीलें मंदिर को घेरे हुए हैं। दायीं दिशा के प्रवाह के साथ वाले झील का पानी गणपति पूजा के लिए आरक्षित रहता है। मंदिर परिसर में यूरोप में बनी एक विशाल घंटी है, जिसे पुर्तगालियों के खिलाफ जीत के बाद स्थापित किया गया था। दक्षिणायन (शीतकालीन संक्रांति) के दौरान सूर्य उदय होने पर, सूर्य की किरणें भगवान गणेश पर पड़ती हैं। इस मंदिर में दो गर्भगृह हैं, भीतर का गर्भगृह 15 फीट ऊँचा और बाहरी 12 फीट लंबा है। बाहरी गर्भगृह में मूषक गणपति की पसंदीदा मिठाई मोदक अपने हाथों में लेकर गणपति मूर्ति के समक्ष हैं।

बल्लालेश्वर विनायक मंदिर के दर्शन समय
बल्लालेश्वर गणपति मंदिर दर्शन सभी 365 दिनों में खुला रहता है, और दैनिक दर्शन सुबह 5:00 बजे शुरू होता है और रात 10:30 बजे बंद हो जाता है।
दैनिक पूजा दिनचर्या:
5:00 ए.एम. – मंदिर खुलता है
5:00 ए.एम. – 11.30 ए.एम. भीतरी गर्भगृह पूजा
5:00 ए.एम. – 10.30 ए.एम. बाहरी गर्भगृह पूजा
10:30 पी.एम. – मंदिर बंद
बल्लालेश्वर विनायक मंदिर, पाली कैसे पहुंचें?
- वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डे मुंबई (108 किमी) और पुणे (132 किमी) में हैं। हवाई अड्डे के बाहर आसानी से टैक्सी मिल सकती है।
- रेल मार्ग: पुणे रेलवे स्टेशन (123 किमी) और मुंबई रेलवे स्टेशन (78 किमी) निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। नियमित यात्री और एक्सप्रेस ट्रेनें पुणे और मुंबई से निकटतम रेलवे स्टेशनों, खोपोली (40 किमी) और कर्जत (56 किमी) तक जाती हैं।
- सड़क मार्ग: पुणे और मुंबई से, अष्टविनायक मंदिरों के दर्शन के लिए कई विशेष परिवहन पर्यटन और यात्राएँ उपलब्ध हैं। महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) अक्सर बसें दर्शन के लिए उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग की दूरी:
- सिद्धटेक विनायक मंदिर से पाली अष्टविनायक मंदिर – 222 किलोमीटर
- पुणे से बल्लालेश्वर विनायक मंदिर – 121 किमी
- मुंबई से बल्लालेश्वर विनायक मंदिर – 99 किमी
- शनि शिंगणापुर से बल्लालेश्वर विनायक मंदिर तक – 266 किमी
- शिरडी से बल्लालेश्वर विनायक मंदिर – 264 किमी
- नासिक से बल्लालेश्वर विनायक मंदिर – 242 किमी

बल्लालेश्वर विनायक मंदिर के पास कहां ठहरें
भक्तों के लिए, दो भक्त निवास आवास के लिए उपलब्ध हैं, जहाँ सस्ते दरों पर कमरे उपलब्ध हैं ।
सुविधाएं:
- चेक-इन: 24 घंटे।
- चेक-आउट: 24 घंटे।
- भोजन की सुविधा: हाँ
- पार्किंग: हाँ
- गर्म पानी: चारित्रिक
- संलग्न शौचालय: हाँ
- सीसीटीवी: हां
- वाटर प्यूरीफायर: हाँ
- एयर-कंडीशनर: नहीं
बल्लालेश्वर विनायक मंदिर से सम्बंधित प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
1. धुंडी विनायक मंदिर कहाँ स्थित है, और इसका क्या महत्व है?
धुंडी विनायक मंदिर, बल्लालेश्वर गणपति मंदिर के मुख्य मंदिर के ठीक पीछे स्थित है। स्वयं भगवान गणेश ने अपने भक्त बल्लाल को वरदान दिया कि उनके पहले धुंडी विनायक की पूजा की जाएगी। धुंडी विनायक एक अलग मंदिर है और पश्चिम की ओर मुख करता है। भक्त विनायक दर्शन से पहले धुंडी विनायक से प्रार्थना करते हैं और फिर गणपति बप्पा के दर्शन करने जाते हैं।
2. प्रदक्षिणा या परिक्रमा क्या है और बल्लालेश्वर गणपति मंदिर की प्रदक्षिणा का क्या महत्त्व है?
भगवान के प्रतिमा का एक पवित्र परिक्रमा करने को प्रदक्षिणा कहा जाता है। बल्लालेश्वर गणपति मंदिर, गणपति की मूर्ति के 21 प्रदक्षिणा के लिए प्रसिद्ध है ताकि भक्त की इच्छा पूरी हो सके और उनके समस्याओं का निवारण हो जाये ।
3. बल्लालेश्वर विनायक मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा कौन सा है?
निकटतम हवाई अड्डे मुंबई (108 किमी) और पुणे (132 किमी) में हैं।
4. बल्लालेश्वर विनायक मंदिर किस रेलवे स्टेशन से निकटतम है?
खोपोली (40 किमी) और कर्जत (56 किमी) बल्लालेश्वर गणपति मंदिर के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। मुंबई और पुणे से कई पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनें इन स्टेशनों को पार करती हैं।
5. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर में यात्रा के दौरान कहां ठहरें?
मंदिर के पास दो भक्त निवास उपलब्ध हैं।
6. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय क्या है?
भाद्रपद (अगस्त / सितंबर) और माघ (जनवरी / फरवरी) शुध प्रतिपदा से पंचमी तक उत्सव मनाया जाता है, और यह समय मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा है। भाद्रपद चतुर्थी एक महत्वपूर्ण पर्व होता है और भक्तों में खुशी का माहौल रहता है। माघ के तीसरे दिन गणपति पालकी जुलूस निकाली जाती है, शहर भर में एक सुंदर फूलों से सजी पालकी जुलूस में भक्त नाचते और गाते हैं।
7. बल्लालेश्वर विनायक मंदिर के लिए दर्शन का समय क्या है?
बल्लालेश्वर गणपति मंदिर दर्शन सभी 365 दिनों में खुला रहता है, और दैनिक दर्शन सुबह 5:00 बजे शुरू होता है और रात 10:30 बजे बंद हो जाता है।
8. क्या बल्ललेश्वर विनायक मंदिर, पाली में पार्किंग उपलब्ध है?
हाँ