
अष्टविनायक यात्रा
पवित्र अष्टविनायक यात्रा भारत के महाराष्ट्र में आठ विनायक मंदिरों का दर्शन कर पूर्ण किया जाता है। अष्टविनायक का वर्णन श्री मुद्गल पुराण में मिलता है, और कहा जाता है कि भगवान विनायक आज भी सभी विनायक मंदिरों में उपस्थित हैं। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि, और बाधाओं के निवारण के देवता हैं, और जो भी अष्टविनायक के पास जाता है, वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है और अपने पापों से मुक्त होता है। आठ मंदिरों की यात्रा करने का एक निर्धारित क्रम है जो पहले मयूरेश्वर विनायक मंदिर, मोरगाँव से शुरू होता है, और क्रमबद्ध रूप से अन्य सात विनायक मंदिरों के दर्शन करने के बाद पहले, मयूरेश्वर विनायक मंदिर की पुनः दर्शन करने के बाद पूर्ण होती है । इन आठ मंदिरों का महत्व सबसे अधिक है क्योंकि इन प्राचीन प्रतिमाओं को किसी ने नहीं बनाया बल्कि इनकी उत्त्पत्ति स्वयं हुई थी। सभी स्वयं उत्त्पन हुए थे इसलिए गणपति की इन मूर्तियों को ‘स्वयंभू’ कहा जाता है। सभी आठ मूर्तियों के ऊपर आठ विनायक मंदिरों का निर्माण किया गया है, और इसलिए इन आठ मंदिरों को अष्टविनायक कहा जाता है। पेशवाओं (पेशवा मराठा साम्राज्य शासक के सहयोगी थे) के समर्थन के कारण, इन आठ मंदिरों ने लोकप्रियता हासिल की। सभी अष्टविनायक मंदिर एक दूसरे के नजदीक हैं और शहर पुणे, महाराष्ट्र के पास स्थित हैं। विधिवत अष्टविनायक यात्रा को ढाई दिनों में पूरा किया जा सकता है । अष्टविनायक यात्रा को करने के लिए एक परिभाषित अनुक्रम है, लेकिन आजकल इस पूर्व-निर्धारित क्रम को कुछ ही लोग पालन करते हैं। अनुक्रम (विधिवत) अष्टविनायक मंदिर की दर्शन सूची
अष्टविनायक विधिवत दर्शन क्रम
- मयूरेश्वर विनायक मंदिर, मोरगाँव
- सिद्धिविनायक मंदिर, सिद्धटेक
- बल्लालेश्वर विनायक मंदिर, पाली
- वरदविनायक मंदिर, महद
- चिंतामणि विनायक मंदिर, थेऊर
- गिरिजात्मज विनायक मंदिर, लेन्याद्री
- विघ्नेश्वर विनायक मंदिर, ओजर
- महागणपति विनायक मंदिर, रांजणगांव
- मयूरेश्वर विनायक मंदिर, मोरगाँव

पुणे जिले में पांच विनायक मंदिर हैं (मोरगाँव, थेऊर, रांजणगांव, ओज़र, लेन्याद्री), दो रायगढ़ जिले (महद, पाली) और एक अहमदनगर जिले (सिद्धटेक) में हैं।
अष्टविनायक यात्रा सम्बंधित प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न:
1. अष्टविनायक यात्रा को कैसे करें?
जब सभी आठ विनायक मंदिरों का दौरा किया जाता है, तो यात्रा पूरी हो जाती है। लेकिन श्री मयूरेश्वर विनायक मंदिर का अंत में पुनः दर्शन करना चाहिए, चाहे यात्रा के क्रम का पालन किया गया हो या नहीं।
2. अगर मैं अष्टविनायक यात्रा के विधिवत क्रम के अनुसार दर्शन न करुँ तो ?
गणपति बप्पा के दर्शन करना महत्वपूर्ण है; आजकल कुछ लोग अष्टविनायक दर्शन के अनुक्रम का अनुसरण करते हैं, लेकिन विधिवत अनुक्रम का अपना महत्व है।
3. अष्टविनायक यात्रा के लिए क्या सुझाव हैं?
- अष्टविनायक दर्शन तीर्थ यात्रा करने के लिए घर से निकलने के बाद यात्रा के दौरान घर नहीं लौटना चाहिए। यदि ऐसा किया जाता है, तो यात्रा को अधूरा कहा जाता है।
- यात्रा पूरी करने के लिए जल्दी न करें, आराम करें और मंदिर के पास भक्त निवास में रहें।
- गणपति बाप्पा मौर्या का स्मरण करें।
- सभी विनायक मंदिर के पास भक्त निवास है।
- कई विनायक मंदिर मोबाइल और कैमरा की अनुमति नहीं देते हैं।
- सभी विनायक मंदिरों से महाप्रसाद मांगें।
- सभी विनायक मंदिरों में पार्किंग आसानी से उपलब्ध है।
- मंदिर के समय की जानकारी रखें ।
- भाद्रपद (अगस्त / सितंबर) और माघ (जनवरी / फरवरी) महीने में बड़े समारोह आयोजित किए जाते हैं, और मंदिरों में उस समय बहुत भीड़ होती है।
- यात्रा को पूरा करने के लिए मयूरेश्वर विनायक मंदिर का पुनः दर्शन करें।
- मोदक और लड्डू श्री गणेश का प्रसाद है।
4. पुणे से अष्टविनायक यात्रा कैसे करें ?
सभी विनायक मंदिर पुणे के आसपास हैं। टैक्सी, निजी कार, बस द्वारा मंदिरों के अनुक्रमानुसार दर्शन करें और यात्रा पूरी करें। पुणे शिवाजीनगर बस पार्क से नियमित राज्य बस सेवाएं उपलब्ध हैं। विशेष अष्टविनायक दर्शन परिवहन वहां उपलब्ध हैं।
5. मुंबई से अष्टविनायक यात्रा कैसे करें ?
सभी विनायक मंदिर पुणे के आसपास हैं। टैक्सी, निजी कार, बस द्वारा मंदिरों के अनुक्रमानुसार दर्शन करें और यात्रा पूरी करें। विशेष अष्टविनायक दर्शन बसें मुंबई से उपलब्ध हैं। भक्त पुणे जा सकते हैं और नियमित राज्य बस सेवा पा सकते हैं और पुणे शिवाजीनगर बस पार्क से विशेष परिवहन उपलब्ध हैं